करवा चौथ एक प्रमुख हिन्दू पर्व है जिसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं। इस व्रत का महत्व सदियों से भारतीय संस्कृति में बना हुआ है। करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले व्रत शुरू करती हैं और चंद्रमा की पूजा कर इसे पूर्ण करती हैं। लेकिन सवाल यह है, “करवा चौथ पूजा कैसे की जाती है?” आइए जानते हैं विस्तार से करवा चौथ की पूजा की विधि, सामग्री और उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में।
Karwa Chauth Puja Vidhi – करवा चौथ पूजन विधि, सामग्री,करवा चौथ पूजन विधि सामग्री
करवा चौथ की पूजा की शुरुआत सही सामग्री के चयन से होती है। अगर आप पहली बार व्रत कर रही हैं या इस पूजा की सामग्री को लेकर असमंजस में हैं, तो नीचे दी गई चीज़ें आपको ज़रूर तैयार रखनी चाहिए।
पूजन के लिए आवश्यक सामग्री:
- करवा (मिट्टी या पीतल का) – यह करवा चौथ की पूजा का मुख्य पात्र होता है। इसमें जल भरा जाता है और इसे देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है।
- पानी का लोटा – पूजा के समय जल अर्पित करने के लिए।
- मिट्टी की गौरी (गणेशजी की प्रतिमा के साथ) – गौरी माता की पूजा करवा चौथ में विशेष मानी जाती है।
- दीया (दीपक) – मिट्टी का दीया या तेल का दीपक जलाने के लिए।
- रोली, चावल, कुमकुम, मेहंदी और हल्दी – तिलक और पूजा के लिए आवश्यक।
- सिंदूर, कंघा, चूड़ियां, बिंदी और चुनरी – सुहागिन स्त्रियों के श्रृंगार का प्रतीक।
- पंचमेवा और मिठाई – भोग लगाने के लिए।
- नारियल और फल – पूजा की थाली में नारियल और मौसमी फलों का विशेष महत्व होता है।
- करवा चौथ की कथा की किताब – पूजा के दौरान कथा का वाचन किया जाता है।
करवा चौथ के दिन करवे में क्या भरा जाता है?
करवा चौथ के दौरान करवे में जल भरने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस जल को चंद्रमा की पूजा के समय अर्पित किया जाता है। इसके अलावा, कई जगहों पर करवे में दूध, शक्कर, चावल, या हल्दी भी भरी जाती है, जो पूजा में विशेष महत्त्व रखते हैं।
करवे में क्या भरें:
- जल – सबसे प्रमुख वस्तु जल है जिसे चंद्रमा को अर्घ्य देते समय उपयोग किया जाता है।
- अक्षत (चावल) – इसे देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है।
- पानी का लोटा – करवे के साथ ही पानी का लोटा पूजा थाली में रखा जाता है।
- नारियल – पूजा में नारियल रखने का भी विशेष महत्व होता है।
करवा चौथ पर चांद की पूजा कैसे की जाती है?
करवा चौथ का सबसे महत्वपूर्ण क्षण चंद्रमा की पूजा है। दिनभर उपवास रखने के बाद महिलाएं रात को चंद्रमा के उदय होने का इंतजार करती हैं। चंद्रमा की पूजा के दौरान कुछ विशेष क्रियाएँ की जाती हैं जो इस पर्व को और भी खास बनाती हैं।
चांद की पूजा की विधि:
- चंद्रमा के उदय का समय देखें – हर साल चंद्रमा के उदय का समय अलग-अलग हो सकता है, इसलिए समय पहले से जान लें।
- पूजन थाली सजाएं – थाली में करवा, पानी का लोटा, दीया, रोली, चावल, मिठाई और मेहंदी रखें।
- चंद्रमा को अर्घ्य दें – जैसे ही चंद्रमा दिखे, महिलाएं करवे में भरे जल से अर्घ्य अर्पित करती हैं।
- चंद्रमा को देखें – महिलाएं एक छलनी के माध्यम से चंद्रमा को देखती हैं और फिर अपने पति के दर्शन करती हैं।
- पति से आशीर्वाद लें – पति के हाथों से जल ग्रहण कर अपना व्रत तोड़ती हैं और पति से लंबी आयु की कामना करती हैं।
करवा चौथ का पाठ कैसे किया जाता है?
करवा चौथ की पूजा में कथा सुनने या पढ़ने का भी विशेष महत्त्व होता है। यह कथा पति-पत्नी के अटूट रिश्ते की प्रतीक मानी जाती है। कथा को सुनते समय महिलाओं के मन में अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना होती है।
करवा चौथ की कथा विधि:
- पूजा की तैयारी करें – सभी पूजा सामग्री एकत्र कर लें और गौरी माता की प्रतिमा के सामने बैठें।
- कथा का पाठ करें – कथा की किताब खोलें और पूरे श्रद्धा भाव से कथा का वाचन करें।
- कथा के दौरान ध्यान करें – कथा सुनते समय अपनी मनोकामना मन में धारण करें।
- सभी महिलाओं के साथ कथा सुनें – यह कथा सामान्यतः एक साथ सभी महिलाएं सुनती हैं और इसे पूरा करने के बाद ही पूजा सम्पन्न होती है।
करवा चौथ में मायके से क्या क्या आता है?
करवा चौथ में मायके से आने वाली चीज़ों को विशेष रूप से “सात फेरे” के दौरान दिया जाता है। यह चीज़ें महिला के मायके से भेजी जाती हैं और उसका ससुराल वाले बड़े उत्साह से स्वागत करते हैं। इसमें महिला के लिए श्रृंगार सामग्री से लेकर खाने-पीने की चीज़ें शामिल होती हैं।
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मायके से आने वाली सामग्री:
- साड़ी या कपड़े – महिला के लिए नए वस्त्र।
- श्रृंगार का सामान – सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी, कंघा आदि।
- मिठाइयाँ और पकवान – खासकर हलवा, लड्डू, और अन्य मिठाइयाँ।
- फल – पूजा के लिए।
- पान का बीड़ा – जिसे सास को विशेष रूप से दिया जाता है।
इस तरह, करवा चौथ का व्रत और पूजा एक अद्वितीय पर्व है जिसमें पति-पत्नी के रिश्ते की मिठास और प्रेम को संजोया जाता है। यह पर्व हर साल महिलाओं को अपने पतियों के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम को दिखाने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।
करवा चौथ की पूजा का सही समय कब होता है?
करवा चौथ की पूजा शाम को चंद्रमा के उदय के समय की जाती है। चंद्रमा के उदय के बाद महिलाएं उसे अर्घ्य देकर अपना व्रत पूरा करती हैं।
क्या करवा चौथ का व्रत केवल विवाहित महिलाएं ही करती हैं?
जी हां, करवा चौथ का व्रत मुख्यतः विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करती हैं। हालांकि, कई स्थानों पर अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।
करवा चौथ के दिन क्या खा सकते हैं?
करवा चौथ का व्रत निर्जल (बिना पानी) रखा जाता है। व्रत खोलने से पहले कुछ नहीं खाया जाता। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं फल, मिठाई या अन्य हल्का भोजन करती हैं।